युवा : भारत का भविष्य
युवा शक्ति और उर्जा का प्रतीक है । युवाओं में उत्साह और आशा का अनंत भंडार होता है । इन्ही सब का प्रयोग करते हुए युवा अपने भाग्य को बादल सकता है । युवा अवस्था ही अपने लक्ष्यों के साथ साथ गौरव अर्जित करने का उपयुक्त समय होता है । राष्ट्र की सबसे ज्यादा आशाएं इस युवा पीढ़ी से ही होती हैं जो क़ि हर असंभव काम को संभव करने की क्षमता रखती है । यही युवा पीढ़ी है जो हर कठिनतम काम को अपने चेहरे पर एक मुस्कान के साथ कर सकती है , निडर और सच्चे दिल से ।
कभी कभी प्रतीत होता है क़ि आज के भारत का युवा अपनी इन सब शक्तियों से अनभिज्ञ है । दुर्भाग्य से आज के युवा बड़ी ही भयंकर परिस्थियों से गुजर रहे हैं , कितने ही युवा नशीली दवाओं ,शराब आदि व्यसनों में फंसे हुए हैं । कितने ही युवा गैर कानूनी कामों में लिप्त हुए हैं , युवाओं में स्वार्थपन बढ़ता ही जा रहा है । पढ़े लिखे शिक्षित युवाओं में भी आत्महत्या के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं । कब तक बुद्धिजीवी लोग ऐसे हादसों को देखकर निष्क्रिय बैठे रहेंगे । क्या आँखों में आंसू नहीं आते ये सब देख कर ?? शिक्षित लोग नशे के आदी हो रहे हैं , आत्महत्या कर रहे हैं तो इतनी शिक्षा का क्या फायदा ? क्या शिक्षा का उद्धेश्य पूरा नहीं हो रहा है ? क्या उनकी शिक्षा उन्हें यही सिखाती है ??
क्या ये शिक्षा उन्हें जीवन की परेशानियों से जूझना नहीं सिखा रही है ?? क्या यही वास्तविक शिक्षा है ? शायद ये सिर्फ किताबी ज्ञान हमारे युवाओं को जीवन की समस्याओं से जूझना और जीतना नहीं सिखा रहा है ।
युवाओं को बचपन से नैतिक मूल्यों की शिक्षा देनी चाहिए , उन्हें इस जीवन का महत्त्व बताना चाहिए । जीवन में बिना निराश हुए , कठिनाइयों से लड़ते हुए जीतने की शिक्षा देनी चाहिए । बिना नैतिक मूल्यों के इंसां पशु समान ही होता है । असली नैतिक मूल्यों और साहसी इंसां कभी जीवन में धोखा नहीं खा सकता ।
युवाओं को अपने मन और दिमाग को सम्पूर्ण रूप से नियंत्रण करने में सक्षम होना चाहिए । जो ये नहीं कर सकता वह शायद जीवन में कुछ भी लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पायेगा । जैसे ही हम बुद्धि और मन को नियंत्रित करते हुए अपने विचारों को नियंत्रित करेंगे ,उसी पल से बदलाव शुरू होगा । विचार ही होते हैं जो हमारे चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली चाहिए जो क़ि हमारी इच्छा शक्ति और चरित्र को मजबूत बनाये और आगे बढ़ने की प्रेरणा दे ताकि हर प्रकार की कठिनाइयों का स्वागत चेहरे पे एक मुस्कान और साहसी मन से किया जाए
originally written in english by Gayatri and translated in hindi by Jogendra Rohella
gayatri congrats your article has got published. hoorrey
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